Monday, January 2, 2012

उसके पतंग की डोर टूट गयी है 
बहुत नौसिखिया पतंगबाज था वो ...

आज दूर किसी मोहल्ले में फिर किलकारियां गूंजेगी... 

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मेरी जुस्तजू पर और सितम नहीं करिए अब

मेरी जुस्तजू पर और सितम नहीं करिए अब बहुत चला सफ़र में,ज़रा आप भी चलिए अब  आसमानी उजाले में खो कर रूह से दूर न हो चलिए ,दिल के गलियारे में ...