उसके पतंग की डोर टूट गयी है
बहुत नौसिखिया पतंगबाज था वो ...
आज दूर किसी मोहल्ले में फिर किलकारियां गूंजेगी...
गौरवशाली है ये धरती हम करते हैं इससे प्यार दिल को दिल से जोड़ना सिखाये हमारा प्यारा ये बिहार हम अलग भले हों यारों एक हमारा भारत है मिलकर हम सबको रहना है देश को इसकी जरूरत है....जय बिहार...जय भारत
मेरी जुस्तजू पर और सितम नहीं करिए अब बहुत चला सफ़र में,ज़रा आप भी चलिए अब आसमानी उजाले में खो कर रूह से दूर न हो चलिए ,दिल के गलियारे में ...
yes!.. this is like true poem...
ReplyDeletebahut dhanyavaad aap sab ka...
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