Friday, December 11, 2020

शायरी

बुलाया   उन्होंने , गए  हम  दिल  लेकर
और  गए  तो  वहाँ  मौसम   बदल  गया 

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राहें  बोलती  हैं  तू  जाना  पहचाना  है  शायर
मगर मेरे   महबूब   ही हमें   भूल  गए  

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कश्ती  को  किनारे  पर  नहीं  छोरना  मांझी
कि  शहर  में  अब  दंगो  का  शोर   है
तूफ़ान  की  शिरत  तो  सबको  मालूम  है 

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तेरे इश्क ने इतना मज़बूत कर दिया हमें सनम
कि गम अब दोस्त है अपनी
मौत भी आ जाए दुश्मनी को तो लड़ जायेंगे 

Tuesday, September 1, 2020

निशा निमंत्रण

निशा  निमंत्रण  लेकर  चन्दा , छत पर  मेरे  आया  है

सपनो  में  था  खोया  मैं ,उसने  आकर मुझे  जगाया  है

ठंडी  ठंडी  हवा  चल  रही  ,रिमझिम  बूँदें  बरस  रही

बादल  का  घूंघट  ओढ़े  वो  ,चाँदनी को  संग  लाया  है !!


वो कहता  है  मुझसे  , सो  कर  खो  देगा  तू   अमृत  को

भर  ले  अपना  प्याला  जिसे ,   दुनिया  ने  ठुकराया  है

चखना  और  चखना सब को  , ये  प्याला  होगा  रौशनी  का

साकी  तेरा  जब  मैं  हूँ  हमदम ,तू  काहे को  घबराया  है !!

Saturday, August 1, 2020

ज़माने को समझाएगा कब तक

तू खुद को बहलायेगा कब तक
हसीन ख्वाब सजाएगा कब तक!!

तू साहिल पर युही क्यूँ बैठा है
लहरों से दूर जाएगा कब तक !!

आइना पूछता है अब चेहरे से
तू मुझे आजमाएगा कब तक ?

हिजाकात नही होती परश्ती में
तू ज़वाहिरों से मनायेगा कब तक!!

उनकी सूरत साकिब है नज़रों में
ज़माने को समझाएगा कब तक!!

उनकी गलियों में तेरे चर्चे हैं
तू खुद को तरपायेगा कब तक!!

फुरक़त में कोई ग़ज़ल लिखना
अश्क आँखों से बहायेगा कब तक!!

कहाँ रहती है खुशबू पोशीदा कभी
मुहब्बत को छुपायेगा कब तक!!

Sunday, June 7, 2020

जाग उठो ,अब स्वप्न लोक से



जाग उठो ,अब स्वप्न लोक से
जाओ ,उपवन की महक की ओर

सूर्य खड़ा है मुस्कुराता ,देखो
चलो तुम भी फलक की ओर

मन को रंग लो सु विचारों से
न जाओ बाह्य धनक की ओर

उजाला दिल में ही कर लेना
नहीं देखो आभूषण की चमक की ओर

संगीत बनाओ सुरमई सुमधुर
जाओ पंछियों की चहक के ओर

किसी बस्ती में गर मुफलिसी है
तुम जाना उस सड़क की ओर

ईमान से जीना,ईमान से मरना
न जाना तड़क भड़क की ओर

जाग उठो ,अब स्वप्न लोक से
जाओ ,उपवन की महक की ओर ..

Wednesday, April 1, 2020

खामोशियाँ आती हैं अक्सर

खामोशियाँ  आती  हैं  अक्सर 
कुछ  यादों  के  संग
चलो  हम  भी  महफ़िल  में  आयें 
दुआओं और फरियादों  के  संग

इन  खामोश  आवाजों की धुन  को  
तुम  भी  सुन  लो  न राही 
रह  जायेगी  बस  तन्हाइयां ही 
कुछ  पुरे अधूरे  वादों  के  संग

कुछ  टूटते हुए
ख़्वाबों  के  दरमियान
कुछ  अपनी  
और कुछ  तुम्हारी खुशियाँ

अफसाना  है  एहसासों  का 
अपने  नेक  इरादों  के  संग

अपने   नेक  इरादों  के  संग 

Saturday, February 8, 2020

राहों के दौरान


राहों के    दौरान  आये गये
सुर फिर वही सब सुनाये गये

कैद -ए - मशक़्क़त  तो था ही लिखा
जिरह से   क्यूँ भरमाये गये

ए फनकार तेरे लब से कभी
मेरे गीत क्यों न गाये गये

बच्चे बहुत जल्द सो जाते हैं
 बहुत देर से फिर जगाये गये

उन्हें लग रहा था कि हैं  संग संग
मगर साथ तो सिर्फ  साये गये

नहीं तीरगी की कर गुफ़्तुगू
सितम रोशनी में भी ढाये गये

हुये दफ्न जाकर अदालत में वो
जो हादसों से जलाये गये

"नील" आसमाँ के सितारे बहुत
अज़ीज़ इस जमीं में मिलाये गये


Saturday, February 1, 2020

खुशबू को न तौलो


ए  दोस्त  कहाँ  हो  ,कैसे  हो  ,बोलो  न , कुछ  तो  बोलो
बात  बनेगी , राह  दिखेगी  ,अपने  अंतर्मन  को  खोलो
धुप  ,छाँव  ,शहर  और  गाँव  ,सब इक  से  हो  जायेंगे
महफ़िल  तुम  जहाँ  बनाना  ,अधरों  में  मिश्री  को घोलो

देखो  चरवाहा  अपने  भेड़ों  से  प्रेम  कितना  दिखाए
देखो  माली  गुलशन  के  खातिर कितना स्वेद बहाए
तुम  भी  अब  अपनी  कोशिश  से   नया  तराना  लिख दो
हर  गुल  की  खुसबू  है  अच्छी  ,खुशबू  को  न  तौलो

आओ  ,दीप  जलाओ ,फिर  से , नया  सवेरा  लाते  हैं
अमन  ,चैन  ,दोस्ती  का  इक सुंदर  मकान  बनाते  हैं
उम्मीदों  का  दामन  रखना  ,आगे   बढ़ते  जाने
अपने  मन  पर  पड़ी  धुल  को  भक्ति  से  तुम  धो  लो 

Friday, January 24, 2020

रहे चाहत तो ...


जंग के मैदान के बाहर है अफवाह बहुत
कि जंग लरने को मिलते है तनख्वाह बहुत

इक छोटी सी चोंच और उसमें दो दाने
रहे चाहत तो मिल जाते हैं राह बहुत

शेख जी क्या जरूरत है पेशगी की कहें 
आपके  तस्सवुर में  खो जाते हैं गवाह बहुत

तुम जो होते हो तो लोग बदल जाते हैं
तुम जो न हो तो बढ़ जाता है गुनाह बहुत

चाँद खामोश है क्यूँकि है अमावस "नील"
सुबह   होने से पहले रात होती है स्याह बहुत

Wednesday, January 15, 2020

हासिल नहीं जो चीज उसका क्या भरम

इस अजनबी बाजार में ख्वाब देखिये
 बोझिल हुये  सवालों के  जबाब देखिये

मोड़ पे खड़े हैं लिजे राह का भी ठौर
ये शेर नापसंद तो किताब देखिये

गुणा -भाग , जोड़ और घटाव चारो ओर
अजी भूल कर अपने हर हिसाब देखिये

सुकून हैरानी कभी इधर कभी उधर
हम देखें आपको हमें जनाब देखिये

कभी देखिये मिठास के दरमियाँ रकीब
कभी नोक झोक में अहबाब देखिये

है कसक मगर ये मेरे घर की बात है
यकीं न हो तो फिर   इज़्तिराब  देखिये

कोयल की काहिली और पहाड़ सा है  जुर्म
गर चिंटियाँ करेंगी इंकीलाब देखिये

हासिल  नहीं जो चीज उसका क्या भरम
जो चीज "नील " को है पायाब देखिये


Monday, January 13, 2020

खुदा पे किसका हक है

एक खत आने की आँखों में  चमक है जी
इत्र के शहर में  इस स्याही की महक है जी

तेरा होना तो मेरे   कारवाँ  में फलक है जी
कितना पा लूँ तुझे , तू तो दूर तक है  जी

किसी मासूम बच्चे सा हो जाऊँ तो अच्छा
मेरे लहजों पे दुनिया को  खुब  शक है जी

मैं उसके सिवा और वो मेरे  बगैर  है क्या
मैं गुड़   उसके  लिये  और वो मेरा नमक है जी

बहुत से फूल, पौधे, तितलियो, भंवरों पे अना
तेरे  बागों तक आने को पथरीली सड़क है जी

कभी पूजा, कभी सज़दा ,कभी अरदास भी करें
उलझना बाद में कि खुदा पे किसका हक है जी

एक दाने के लिये भी हो  तो खुद पे ही  यकीं
"नील" जिन्दान के  हर पंछी का सबक है जी


Saturday, January 11, 2020

याद आये आदमी सा

पार जाने की कड़ी सा
बन गया है इक नदी सा

भूल के अक्स मजहबी सा
याद आये आदमी सा

तआ'रुफ़ उसका  दूर से दे
पास बैठे अजनबी सा

रुक गया तो हैसियत क्या
चमचमाती एक घड़ी सा

बात सुनने में है बच्चा
बात बोले पीर जी सा

जो दिया आँगन सँवारे
वो दिया है चाँदनी सा

मुझको देकर तख्त ऐ फाँसी
कर रहा वो खुदखुशी सा

कोई भी अपना ले बेशक़
बे बहर सी शायरी सा

खुद पहल है "नील" भी अब
कह दो तो वो आखिरी सा

Saturday, January 4, 2020

ढूँढता है तू आवाज़ फिर नया

इस तरह से बस ही अपनाया हुआ
जैसे सूरज रात को पराया  हुआ

 घास की हरियाली नहीं जाती  यूहीं
ओस दर ब दर भी गर  छाया  हुआ

क्या पता कहते किसे हैं बिजलीयाँ
मोम सा जलता है और ज़ाया हुआ

तू नदी है मैं महज़ तहज़ीब हूँ 
कुछ सदी के बाद ठुकराया हुआ

खटखटाना भी नहीं ना  दी  सदा
कब से  दरवाजे पे तू आया हुआ

तुम सजावट देखते हो लौट कर
छोड़  कर जाते  हो उलझाया हुआ

सब  झगड़ते हैं  कि वो ही हैं सही
वक्त देखे सब को इतराया हुआ

जाने किस किस मोड़ पे है सुकून
जाने किस किस राह से भरमाया हुआ

ढूँढता है तू आवाज़ फिर नया
"नील" गाये गीत फिर  गाया हुआ

Wednesday, January 1, 2020

तिनके-तिनके में छुपी है मोहब्बत राही


अदावत में कभी पत्थर न उठाया करना
एक पल में अपनों को न पराया करना !!

रहते हैं ख़ार ज्यूँ गुलाबों के हमनशीं हो कर
दिल में दर्दों को वैसे ही छुपाया करना !!

तिनके-तिनके में छुपी है मोहब्बत राही
बुलबुल के घरौंदे को न मिटाया करना !!

तश्नगी आसमां की और कोशिशें चुल्लू भर
ख्वाब डूब जायेंगे ,अश्क न बहाया करना !!

शाख इक टूट भी जाए तो गुल खिलता है
भूल कर गम तेरे ,बस इश्क निभाया करना !!

तुम मशालों को चिरागों से क्या तौलते हो
खतम होगा अँधेरा ,इक शम्मा जलाया करना !!

गुलशन महक जाते हैं जैसे गुल से "नील"
रूह को तुम भी ख़्वाबों से सजाया करना!!

मेरी जुस्तजू पर और सितम नहीं करिए अब

मेरी जुस्तजू पर और सितम नहीं करिए अब बहुत चला सफ़र में,ज़रा आप भी चलिए अब  आसमानी उजाले में खो कर रूह से दूर न हो चलिए ,दिल के गलियारे में ...