बुलाया उन्होंने , गए हम दिल लेकर
और गए तो वहाँ मौसम बदल गया
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राहें बोलती हैं तू जाना पहचाना है शायर
मगर मेरे महबूब ही हमें भूल गए
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कश्ती को किनारे पर नहीं छोरना मांझी
कि शहर में अब दंगो का शोर है
तूफ़ान की शिरत तो सबको मालूम है
और गए तो वहाँ मौसम बदल गया
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राहें बोलती हैं तू जाना पहचाना है शायर
मगर मेरे महबूब ही हमें भूल गए
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कश्ती को किनारे पर नहीं छोरना मांझी
कि शहर में अब दंगो का शोर है
तूफ़ान की शिरत तो सबको मालूम है
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तेरे इश्क ने इतना मज़बूत कर दिया हमें सनम
कि गम अब दोस्त है अपनी
मौत भी आ जाए दुश्मनी को तो लड़ जायेंगे