Saturday, April 21, 2012

ना पूछुंगा

 
ना  पूछुंगा  कि  मेरी  हैसियत  भी  क्या  है ,
मुहब्बत  के  सिवा   उनकी  शिकायत  भी  क्या  है  ?

जहाँ  रहे  तू  वहाँ  दुआएं  रहें  ,
जहाँ  नहीं  तू  वो  जन्नत  भी  क्या  है ...

पूछना  था  रब  से  कि  मुकद्दर  क्यों  बनायी
इस  ज़िन्दगी  की  मौला  ज़रुरत  भी  क्या  है ..

अब  मुस्कराहट  से  गम  छुपाना  हुआ  मुश्किल
ये  सच  छुपाने  की  मेरी  आदत  भी  क्या  है ...

लब  पे   हैं   मौजूद  जो  रूह    से  जुड़े
उनके   बिना  कोई  ख़ुशी  कोई  शोहरत  भी  क्या  है ..

No comments:

Post a Comment

मेरी जुस्तजू पर और सितम नहीं करिए अब

मेरी जुस्तजू पर और सितम नहीं करिए अब बहुत चला सफ़र में,ज़रा आप भी चलिए अब  आसमानी उजाले में खो कर रूह से दूर न हो चलिए ,दिल के गलियारे में ...