ना पूछुंगा कि मेरी हैसियत भी क्या है ,
मुहब्बत के सिवा उनकी शिकायत भी क्या है ?
जहाँ रहे तू वहाँ दुआएं रहें ,
जहाँ नहीं तू वो जन्नत भी क्या है ...
पूछना था रब से कि मुकद्दर क्यों बनायी
इस ज़िन्दगी की मौला ज़रुरत भी क्या है ..
अब मुस्कराहट से गम छुपाना हुआ मुश्किल
ये सच छुपाने की मेरी आदत भी क्या है ...
लब पे हैं मौजूद जो रूह से जुड़े
उनके बिना कोई ख़ुशी कोई शोहरत भी क्या है ..
मुहब्बत के सिवा उनकी शिकायत भी क्या है ?
जहाँ रहे तू वहाँ दुआएं रहें ,
जहाँ नहीं तू वो जन्नत भी क्या है ...
पूछना था रब से कि मुकद्दर क्यों बनायी
इस ज़िन्दगी की मौला ज़रुरत भी क्या है ..
अब मुस्कराहट से गम छुपाना हुआ मुश्किल
ये सच छुपाने की मेरी आदत भी क्या है ...
लब पे हैं मौजूद जो रूह से जुड़े
उनके बिना कोई ख़ुशी कोई शोहरत भी क्या है ..
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