जो नहीं मेरा है,उसे पायें कैसे
ग़म-ए-दुनिया ने तोडा कश्ती
लहरों के पार अब जाएँ कैसे
हो सके तो माफ़ कर देना हमें
हम अदद आशिकी छुपायें कैसे
गुलशन में खार ही खार हैं अब
तितलियों को भला हम बुलाएं कैसे
तुने ही जो दीप जलाया था कभी
अश्कों से भला उसे बुझाए कैसे
जो मेरा हाल है,वो ही तेरा होगा
तो बोल सनम तुझे तरपायें कैसे
तू टूट न जाए कहीं भर-ए-महफ़िल
इसलिए ये नगमे तुझे सुनाये कैसे
तेरे भूलने का ग़म नहीं हमें, मगर
कोई दोष दे तुझे तो ये रह पाए कैसे
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