रब्बा तेरी हर बात से इत्तेफाक है मुझे ,
जो तू न होता तो दिल एक पत्थर था
तेरी हर दुआ से वाकिफ भी हूँ
तू ही था मीत ,तू हि एहसास तू ही मेरा मंज़र था
जो तुने दी है तन्हाई
आज मेरे ज़ीस्त की राह में
तो तुने हि भरी थी मुहब्बत साँस -औ -धड़कन में
तडपा था तू हि मेरी हर आह में ...
कि मुहब्बत न कर के तुझसे मुतालिक कोई क्या होगा
तन्हाई तो ज़िन्दगी भर रही बीत जाने पर भी तनहा होगा ...
जो तू न होता तो दिल एक पत्थर था
तेरी हर दुआ से वाकिफ भी हूँ
तू ही था मीत ,तू हि एहसास तू ही मेरा मंज़र था
जो तुने दी है तन्हाई
आज मेरे ज़ीस्त की राह में
तो तुने हि भरी थी मुहब्बत साँस -औ -धड़कन में
तडपा था तू हि मेरी हर आह में ...
कि मुहब्बत न कर के तुझसे मुतालिक कोई क्या होगा
तन्हाई तो ज़िन्दगी भर रही बीत जाने पर भी तनहा होगा ...
तन्हाई तो ज़िन्दगी भर रही बीत जाने पर भी तनहा होगा ...bhaut hi khgubsurat....
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