लब खामोश सही ,दिल में तुम्हारी धड़कन है ...
मेरा तो अब बस नहीं कोई , तेरा ही ये मन है ..
हर फूलों में ढूंढता है तेरा रूप ...
तेरे ख़्वाबों से है मेरी छाओं धुप
तेरी यादों से आबाद मेरा गुलशन है ....मेरा तो अब बस नहीं कोई , तेरा ही ये मन है ..
तुझसे कह पाता नहीं है राज़ -ए-दिल ...
अब तो सुनी लगती है हर महफ़िल
तू समझ पाता नहीं यही उलझन है ..
मेरा तो अब बस नहीं कोई , तेरा ही ये मन है ..
हो सके तो एक दफा आवाज़ को पहचान ले ,
मेरे साँसों में छुपी बातों को तू भी जान ले ...
जान ले तुझसे ही आँगन रौशन है ..
मेरा तो अब बस नहीं कोई , तेरा ही ये मन है ..
इतना आसां होगा नहीं भुला देना ,
तेरे गम में दिल को फिर सजा देना ...
अपनी चाहत का तुझी पे अर्पण है ...
मेरा तो अब बस नहीं कोई , तेरा ही ये मन है ..
अश्कों से लिखता हूँ मैं इक ग़ज़ल ..
रखता हूँ कदम ज़रा संभल संभल
हर गम में तुझे ढूंढता ये जीवन है
मेरा तो अब बस नहीं कोई , तेरा ही ये मन है ..
मेरा तो अब बस नहीं कोई , तेरा ही ये मन है ..
हर फूलों में ढूंढता है तेरा रूप ...
तेरे ख़्वाबों से है मेरी छाओं धुप
तेरी यादों से आबाद मेरा गुलशन है ....मेरा तो अब बस नहीं कोई , तेरा ही ये मन है ..
तुझसे कह पाता नहीं है राज़ -ए-दिल ...
अब तो सुनी लगती है हर महफ़िल
तू समझ पाता नहीं यही उलझन है ..
मेरा तो अब बस नहीं कोई , तेरा ही ये मन है ..
हो सके तो एक दफा आवाज़ को पहचान ले ,
मेरे साँसों में छुपी बातों को तू भी जान ले ...
जान ले तुझसे ही आँगन रौशन है ..
मेरा तो अब बस नहीं कोई , तेरा ही ये मन है ..
इतना आसां होगा नहीं भुला देना ,
तेरे गम में दिल को फिर सजा देना ...
अपनी चाहत का तुझी पे अर्पण है ...
मेरा तो अब बस नहीं कोई , तेरा ही ये मन है ..
अश्कों से लिखता हूँ मैं इक ग़ज़ल ..
रखता हूँ कदम ज़रा संभल संभल
हर गम में तुझे ढूंढता ये जीवन है
मेरा तो अब बस नहीं कोई , तेरा ही ये मन है ..
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