मिट गया वो जिस पे तेरी मेहरबानी हो गयी
बेनाम था मगर अब उसकी भी कहानी हो गयी!!
वो बादलों को ओढ़ लेती है ,तुम तारों में खो जाते हो
खुद करते हो नादानी ,उसकी बदगुमानी हो गयी ?
ज़ेहन को दूर रख कर ही इश्क किया करना
वरना न फिर कहना कि, कारिस्तानी हो गयी!!
दर्द-ए-जिगर ही तो आशिकों कि मुकम्मल दवा है
इस दर्द को चख कर ही, मीरा दीवानी हो गयी!!
इश्क-ओ-मोहब्बत तो उसकी ही बंदगी है
नूर-ए-खुदा से रौशन ये जिंदगानी हो गयी!!
बेनाम था मगर अब उसकी भी कहानी हो गयी!!
वो बादलों को ओढ़ लेती है ,तुम तारों में खो जाते हो
खुद करते हो नादानी ,उसकी बदगुमानी हो गयी ?
ज़ेहन को दूर रख कर ही इश्क किया करना
वरना न फिर कहना कि, कारिस्तानी हो गयी!!
दर्द-ए-जिगर ही तो आशिकों कि मुकम्मल दवा है
इस दर्द को चख कर ही, मीरा दीवानी हो गयी!!
इश्क-ओ-मोहब्बत तो उसकी ही बंदगी है
नूर-ए-खुदा से रौशन ये जिंदगानी हो गयी!!
दर्द-ए-जिगर ही तो आशिकों कि मुकम्मल दवा है
ReplyDeleteइस दर्द को चख कर ही, मीरा दीवानी हो गयी!!
बहुत अच्छे शेर, मुबारक हो !!!!
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ReplyDeleteदर्द-ए-जिगर ही तो आशिकों कि मुकम्मल दवा है
इस दर्द को चख कर ही, मीरा दीवानी हो गयी!!..
Great expression ! Neelansh ji .
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खूबसूरत गज़ल
ReplyDeletesundar ghazal
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