बगिये में भंवरे
बहुत दूर से आया करते हैं
कृष्ण तन होता है लेकिन निर्मल
मन वो रहते हैं
देखो न ,
तभी तो शहद कितना मधुर हुआ करता है
बेरहम मौसम के प्रहारों से
वो पुष्प तो मुरझा जाते हैं
पर वे कृष्ण काय भंवरे उसकी
खुशबू को जिंदा रखते हैं ...
गौरवशाली है ये धरती हम करते हैं इससे प्यार दिल को दिल से जोड़ना सिखाये हमारा प्यारा ये बिहार हम अलग भले हों यारों एक हमारा भारत है मिलकर हम सबको रहना है देश को इसकी जरूरत है....जय बिहार...जय भारत
मेरी जुस्तजू पर और सितम नहीं करिए अब बहुत चला सफ़र में,ज़रा आप भी चलिए अब आसमानी उजाले में खो कर रूह से दूर न हो चलिए ,दिल के गलियारे में ...
मित्र भंवरे शहद नहीं बनाते। ये काम मधुमक्िखयां करती हैं।
ReplyDeletesunder rachna...
ReplyDeleteआपकी इस उत्कृष्ट प्रवि्ष्टी की चर्चा कल शुक्रवार के चर्चा मंच पर भी की गई है!
ReplyDeleteयदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल उद्देश्य से दी जा रही है!
sundar
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