राह में अकेला नहीं है तू शायर
तेरे वक़्त के पुराने कागज़ में
लिखे हुए हैं नाज़ से वो
ख्वाब तेरे साथ हैं फजूल है फिक्र राही
है बेकार कल में उलझना
आज जी ले जी भर के
रब का तुझ पे हाथ है
कोशिशें नहीं थमनी चाहिए
दिए को जलाने की
तूफ़ान भी आया तो क्या
दिल का घरौंदा
ही तेरा कायनात है
रौशन कर ले उसे
वक़्त का क्या तकाज़ा
बस कुछ लम्हे हैं
रूहानी और बस
उन्ही की बात है
कारवां को छोड़ना तू नहीं कभी
खुदा खुद जो
तेरे इस सफ़र में
तेरे साथ है
हर शक्स है दीवाना
हर शक्स तुझ सा ही है
तू है अलग क्योंकि
तेरे पाक ज़ज्बात हैं
उनको कहते जा
सादगी न छोड़ना कभी
ये हार है न जीत है
ना ही शह और ना ही मात है
कारवां को छोड़ना तू नहीं कभी
खुदा खुद जो
तेरे इस सफ़र में
तेरे साथ है
खुदा खुद जो तेरे इस सफ़र में
तेरे साथ है ...
राह में अकेला नहीं है तू शायर
ReplyDeleteतेरे वक़्त के पुराने कागज़ में
लिखे हुए हैं नाज़ से वो
ख्वाब तेरे साथ हैं
वाह क्या बात है , हां यही तो है साथ जो वर्षों साथ निबाहेगा
खुदा खुद जो तेरे इस सफ़र में
ReplyDeleteतेरे साथ है ...
-बहुत बढ़िया....
दास मलूका कह गये, सबके दाता राम!
ReplyDelete--
रचना बहुत सुन्दर है!
कारवां को छोड़ना तू नहीं कभी
ReplyDeleteखुदा खुद जो
तेरे इस सफ़र में
तेरे साथ है... muskilo me ek postive thinking deti hui apki rachna...
कोशिशें नहीं थमनी चाहिए
ReplyDeleteदिए को जलाने की
तूफ़ान भी आया तो क्या
दिल का घरौंदा
ही तेरा कायनात है
kya baat hai