Wednesday, October 23, 2019

बेहोश 

जिसे  करना  है  फर्ज़  पूरा  ,वो  खामोश  है  जी !
वक़्त  पे  कर  पहल  नादाँ , तो  क्या  दोष है  जी ?

तोहमतें  दे  रहा  है  ,कर  रहा  है  तू  और  मैं ?
चल  रही  जुबान  ,दिल  और ज़ेहन  ,बेहोश  है  जी !

किस  शहर  में  तुझे  ढूंढू ए  खुदा , कहाँ  जाऊँ !
बेनक़ाब  कौन  यहाँ  ,कौन  नकाबपोश  है  जी ?


वो  जुलाहा  है  ,जो  सूत  को भी  चादर  कर  दे !
ये  है  मीठी सी  जिद्द  हर  रोज़  , मत  कहो  जोश  है  जी !


सब  को  बेशक  ही  मेरे  किस्से  कह  दे  "नील "!
न  ही  पहले  किया  था  रोष  ,न  अब  रोष है  जी !

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