जिसे करना है फर्ज़ पूरा ,वो खामोश है जी !
वक़्त पे कर पहल नादाँ , तो क्या दोष है जी ?
तोहमतें दे रहा है ,कर रहा है तू और मैं ?
चल रही जुबान ,दिल और ज़ेहन ,बेहोश है जी !
किस शहर में तुझे ढूंढू ए खुदा , कहाँ जाऊँ !
बेनक़ाब कौन यहाँ ,कौन नकाबपोश है जी ?
वो जुलाहा है ,जो सूत को भी चादर कर दे !
ये है मीठी सी जिद्द हर रोज़ , मत कहो जोश है जी !
सब को बेशक ही मेरे किस्से कह दे "नील "!
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