आज दिन थोड़ा जल्दी शुरू कर दूँ ज़रा
रात को टूटा है दिल , सुबह रफू कर दूँ ज़रा !
तुमको मेरे नज़्म -ऐ -अक्स से मुहब्बत हो गयी ,
खुद को भी उसके हू -ब -हू कर दूँ ज़रा !
रँग बिरँगी जिंदगी में रँग -ए -यारी का सामान ,
थोड़े लम्हे के लिये खुद को उदू (rival) कर दूँ ज़रा !
चाँदनी पर रख यकीं अपने , और मेरी बात काट ,
गर अमावस में तुम्हारी आरज़ू कर दूँ ज़रा !
बारी बारी से जो देता धूप हर दिशा को "नील ",
अंश उस सूरज का तेरे रू -ब-रू कर दूँ ज़रा !
बेहतरीन जानदार प्रस्तुति।
ReplyDeleteदेवनागरी लिपि भी साथ में इस्तेमाल कर लें तो भला होगा हमारा।
नई पोस्ट पर आपका स्वागत है 👉 ख़ुदा से आगे
Aapka dhanyvaad
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