Friday, October 11, 2019

Fraction / अंश


आज  दिन  थोड़ा  जल्दी  शुरू  कर  दूँ  ज़रा
रात  को  टूटा  है  दिल , सुबह  रफू  कर  दूँ ज़रा !

तुमको  मेरे  नज़्म  -ऐ -अक्स  से  मुहब्बत  हो  गयी ,
खुद  को  भी  उसके  हू -ब -हू कर  दूँ ज़रा !

रँग  बिरँगी   जिंदगी  में   रँग -ए -यारी  का  सामान ,
थोड़े लम्हे  के  लिये  खुद  को  उदू (rival) कर  दूँ ज़रा !

चाँदनी  पर  रख  यकीं  अपने , और  मेरी  बात  काट ,
गर  अमावस  में  तुम्हारी  आरज़ू  कर  दूँ ज़रा !

बारी  बारी  से  जो  देता  धूप  हर  दिशा  को  "नील ",
अंश  उस  सूरज  का  तेरे  रू -ब-रू कर  दूँ ज़रा !

2 comments:

  1. बेहतरीन जानदार प्रस्तुति।
    देवनागरी लिपि भी साथ में इस्तेमाल कर लें तो भला होगा हमारा।
    नई पोस्ट पर आपका स्वागत है 👉 ख़ुदा से आगे 

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