Sunday, October 27, 2019

खामोश  मुहब्बत

कबूतर  ताकते  हैं  छत  से  कोई  दाना  लायेगा  
इस  सुन्दर  से उपवन  में   कोई  दीवाना  लायेगा 

बहुत  उत्सुक  हैं  वो  लेकिन चुपचाप   बैठें  हैं ,
कोई  लायेगा खुशियाँ  उनकी  या  कोई  ना  लायेगा 

हुई  आहट  की  वो  फुर्र  से  उड़े   ,फिर वापस  उन्हें  नीचे ,
किसी  खामोश  मुहब्बत का  ही फसाना लायेगा 

टहलना  तो  बहुत  ही  कायदे  से  तुम  टहलना "नील ",
बहुत  मासूम  हैं ,उन्हें  इस  तरह  ही  आना लायेगा

10 comments:

  1. जी नमस्ते,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (२८ -१०-२०१९ ) को " सृष्टि में अँधकार का अस्तित्त्व क्यों है?" ( चर्चा अंक - ३५०२) पर भी होगी।
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।

    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    ….
    अनीता सैनी

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    1. चर्चा मंच के लिए इस कविता को चुनने के लिए मैं आपका बहुत आभारी हूं

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  2. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज रविवार 27 अक्टूबर 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. इस कविता को चुनने के लिए मैं आपका बहुत आभारी हूं

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  3. कबूतर ताकते हैं छत से कोई दाना लायेगा
    इस सुन्दर से उपवन में कोई दीवाना लाएगा
    बहुत प्यारी रचना है नीलांश जी । मनभावन रचना के साथ दीवाली कि हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई। 🙏🙏💐💐💐💐💐

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    1. आपको बहुत बहुत धन्यवाद । दीपावली की शुभकामनाएं 🌻🌅🌅🌻

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  4. बहुत उम्दा, अलहदा सृजन सुंदर।

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    1. मैं आपकी टिप्पणियों के लिए आभारी हूं। सस्नेह। नील

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  5. Hello thanks for posting this

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