Monday, October 7, 2019

Question ?/ सवाल


कभी  कभी  जब  फर्ज़  पूछता  है  सवाल , 
कि  मुझ  में  भी  खुदा  है  ,ये  आता  है  ख्याल!  

हज़ारों  राह  हैं  चुप  चाप  भी  पूरा  कर  लूँ , 
मगर  देना  परा  खुद  को  खुद  ही  से  निकाल!  

तू  ना  तो  मकरी  है,  ना  ही  तू  मछुआरा  है ,
क्या  ज़िद्द  है  तेरी  कि  तू  फेकता  है  ये  जाल!  

समेटी  है  जो  तूने  खुशियाँ  , वो  छुपाना  नहीं , 
पेड़  बन  जायें  वो ,बीज  ना  तू  रखना  सम्भाल !  

तेरी  कमी  में  कमज़ोर  गर  हो  जाये  "नील ", 
ये  होगी  वादा  खिलाफ़ी ,तू  तो  है  मिसाल !!!



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