Tuesday, October 29, 2019

स्वासों को ऐसी धुन दे दो

विविध विचित्र विषों को संचित करते हो
कितनों को अमृत पीने से वंचित करते हो 

ये ज्ञात नहीं कितनों को अह्लादित करते हो ,
हर आयाम अपने ही मनोवांछित करते हो

अहम् का पर्वत राहों में ,मत मानो अपनी भूल
नाम छोटी योगदान में भी अंकित करते हो

तुम अपनी उँगलियों से लिखो कोई इतिहास ,
उनको अकारण ही सब पर इंगित करते हो

क्षमा ,दया ,धैर्य , समभाव सब रखते हो गौण ,
क्रोध ,मोह ,मद ,आडम्बर आप त्वरित करते हो

ये कैसी श्रद्धा जो निश दिन करते हो पूजा ,
हर दिन परमेश्वर को पर लज्जित करते हो

वर्तमान कर्मा का रथ है,भविष्य सारथी है ,
अतीत अनुभवों का गुरु ,क्यों चित्त चिंतित  करते हो

आओ अपने हर स्वासों को ऐसी धुन दे दो ,
जो कहे सब "नील"  तुम रोमांचित करते हो

4 comments:

  1. Replies
    1. इस ब्लॉग पर आने के लिए और अपनी टिप्पणी प्रदान करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद, सुशील जी

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  2. आओ अपने हर स्वासों को ऐसी धुन दे दो ,
    जो कहे सब "नील" तुम रोमांचित करते हो
    सच रोमांचकारी क्षण हमेशा जेहन में कैद रहते हैं
    बहुत सुन्दर
    शुभ दीपावली!

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    Replies
    1. मैं टिप्पणियों के लिए आभारी हूं, कविता दी
      शुभ दीपावली, भाई दूज

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