ये मन
आज विलीन होना चाहता है
तेरे उस मौन में
जब तू मुझे छोर गयी थी,
वो निश्चलता
मुझे बहुत प्यारी लगती है ,
मैं तेरे उस मौन
और अपनी
उस तड़प के जुगलबंदी से
बने निशब्द गीत को
आज तन्हाई में सुनता हूँ ,
तो मेरी रूह बस ये
कहती है की
तेरे न होने से
मैंने एक रहस्य को
जान लिया है
कि जीवन एक नदी है
और
प्रेम बहती धारा ,
मिलन और वियोग
दो किनारे ,
और
सागार मोक्ष
जहाँ प्रेम कि धारा के
साथ बहकर ही
पहुंचा जा सकता है ,
मिलन और वियोग
हर पड़ाव पर
हमें मिलेंगे ,
ये अलग है कि
हम
किस पड़ाव पर
अपने जीवन कि नौका
को रोकें
..निशांत
जीवन को करीब से देखने की प्रश्तुती बधाई
ReplyDeleteमन को उद्वेलित करते भाव ..... यह विरोधाभास सदैव बना रहता है...
ReplyDeletesunder abhivyakti ,achha prayas. shukriya .
ReplyDeleteजीवन एक रहस्य ही तो है .. उसे जो जितने जल्दी समझ ले उतना ही हितकर
ReplyDeleteबहुत बढ़िया प्रस्तुति
wonderful creation...very appealing lines !
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