कौन ले मेरी सुधि प्रिये
तड़पाती है नदिया की लहरे
जाता हूँ जब भी तीरे
बस ढूँढू तेरी चुनरी प्रिये !
पत्ते मुस्काते है जब भी
आये पवन जब वेग लिए
हूक ह्रदय में दे जाती है
न जाने हम क्यों बिछरे
बस ढूँढू तेरी चुनरी प्रिये !
स्वेद की बूँदें है तन पे
मेघ खेलता है मुझसे
कौन धुप में छाँव करेगा
कष्ट हरेगा कौन प्रिये
बस ढूँढू तेरी चुनरी प्रिये !
पुष्प खिलते हैं जब भी
तितली को देखूं हँसते
खुशबू संग जब वो आती है
याद आये तेरी प्रीत प्रिये
बस ढूँढू तेरी चुनरी प्रिये !
बस ढूँढू तेरी चुनरी प्रिये !
बेहतरीन भावाव्यक्ति , सम्प्रेषण की अद्भुत छमता बधाई
ReplyDeletebhut sunder bhaavabhivakti hai... very nice...
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