खुद में ही न आज उलझ जाओ ,चले आओ
महफ़िल तो है बुलबुला सा ,खो जाता है
भीड़ में तुम भी न खो जाओ ,चले आओ
देखो है आज अँधेरा ,बहुत उस गुलशन में
जो खुद की आग में जल पाओ ,चले आओ
पाने का नाम मोहब्बत, कभी न होता है
खुद को खो कर जो उसे पाओ ,चले आओ
माना की चाँद तुझसे ,बेवफाई करता है
जो पूनम रात को तुम चाहो ,चले आओ
लहरें भी तो ,आती हैं चली जाती हैं
तुम भी युहीं न ठहर जाओ ,चले आओ
bhut khubsurat panktiya...
ReplyDeleteपाने का नाम मोहब्बत, कभी न होता है
ReplyDeleteखुद को खो कर जो उसे पाओ ,चले आओ
.... pyaar to sirf deta hai kuch pal ka saath uske liye bahut hota hai