और कोई न हो जो अपना हो!
माँ की दुआएं संग रहे
आँखों में बस एक सपना हो !
जिसे पूरा करने की खातिर
तुम निकले थे एक आस में !
मन में प्रभु की भक्ति हो
और उमंग रहे हर स्वास में !
प्रियतम की चिट्ठी से
जब विश्वास के दीपक जलते हों !
जब अपने घर को जाने को
तेरे पाँव बहुत तड़पते हो !
ऐसे में तेरे व्याकुल मन को
जब कोई राह दिखाता है
तेरे सपनो के मद्धम रथ को
जो मंजिल तक पहुंचाता है!
कुछ और नहीं उसे बस तेरा
आत्मबल ही कहते हैं
संग तेरे जीवन रथ के
वो सारथि सा रहते हैं !
वो सारथि सा रहते हैं !
प्रियतम की चिट्ठी से
जब विश्वास के दीपक जलते हों !
जब अपने घर को जाने को
तेरे पाँव बहुत तड़पते हो !
ऐसे में तेरे व्याकुल मन को
जब कोई राह दिखाता है
तेरे सपनो के मद्धम रथ को
जो मंजिल तक पहुंचाता है!
कुछ और नहीं उसे बस तेरा
आत्मबल ही कहते हैं
संग तेरे जीवन रथ के
वो सारथि सा रहते हैं !
वो सारथि सा रहते हैं !
बहुत सुन्दर सकारात्मक सोच..अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteसुन्दर शब्द, अच्छी प्रस्तुति बधाई
ReplyDeletebas ho akho me ek sapna... aur ho us sapne ko pura karne ka junun.. jindgi asaan ho jati hai...
ReplyDeletebahut aabhaar kailash ji ,kushwansh ji ,sushma ji
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