ए मेरी कोयलिया सुन
क्यूँ मधुर गीत सुनाती है
ग्रीष्म के अगन में क्यूँ सबको
कान्हा की याद दिलाती है
अमराई है तुझसे रौशन
तू पंचम सुर जब लगाती है
सुबह की किरणों के संग
तू विनम्रता हमें सिखाती है
मन उपवन को मीठे रस से
नितदिन तू सींचती जाती है
तुझसे बस कुछ कहना है
तू हर दिन क्यों नहीं आती है
ए मेरी कोयली सुन
क्यूँ मधुर गीत तू गाती है
bhut hi sunder shabdo se rachi rachna hai...
ReplyDeleteसुबह की किरणों के संग
ReplyDeleteतू विनम्रता हमें सिखाती है
क्या बात ... सुंदर पंक्तियाँ.... अर्थपूर्ण सन्देश
बहुत बढ़िया
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