Monday, May 23, 2011

इस शहर में भी ...


ग़ज़ल को शब्द दिए हैं :हरीश भट्ट सर ने


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मेरी जुस्तजू पर और सितम नहीं करिए अब

मेरी जुस्तजू पर और सितम नहीं करिए अब बहुत चला सफ़र में,ज़रा आप भी चलिए अब  आसमानी उजाले में खो कर रूह से दूर न हो चलिए ,दिल के गलियारे में ...