बैठा है कल के आस में
लो आ गया वो
कई तरंगो के संग
और
आज ने उसका स्वागत
किया
कुछ
मधुर धुन निकले
इस मिलन से
उसके वीणा से
उस कल के लिए
जो इस उपहार को
अपना लेगा
बस
आज के लिए
जो राह तकता रहता है
निश्चल भाव से
उस कल के लिए
कितना प्यारा रिश्ता
है आज और कल का
न फ़साना बेखुदी का
न तराना कोई क्षल का
हाँ वो ही तो है
जो आएगा
हर वक़्त जब
आज होगा उदास
वो ही है उसका सहचर
वो ही है सच्चा हमसफ़र
हाँ वो ही है ......
बहुत सुंदर रिश्ता है आज और कल का ! बहुत अच्छी रचना ।
ReplyDeleteकितना प्यारा रिश्ता
ReplyDeleteहै आज और कल का
न फ़साना बेखुदी का
न तराना कोई क्षल का
waakai
खूबसूरत भाव ..अच्छी रचना
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